नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ‘इंडिया गठबंधन’ में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव और अब शरद पवार जैसे प्रमुख नेता दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को दरकिनार करते हुए अरविंद केजरीवाल के समर्थन में नजर आ रहे हैं। इस घटनाक्रम ने कांग्रेस के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
अखिलेश यादव के हालिया बयान ने राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा, “इंडिया गठबंधन का उद्देश्य क्षेत्रीय पार्टियों को मजबूत करते हुए बीजेपी के खिलाफ एकजुट लड़ाई लड़ना है।” यह बयान इस सवाल को जन्म देता है कि क्या गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस को कमजोर कर अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस, जो अब भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पार्टी मानी जाती है, को क्षेत्रीय पार्टियां केवल बीजेपी से लड़ाई तक सीमित रखना चाहती हैं। वहीं, दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को अलग-थलग करने की रणनीति यह संकेत देती है कि गठबंधन के भीतर भी राजनीतिक हितों का टकराव शुरू हो गया है।
शरद पवार द्वारा भी अरविंद केजरीवाल को समर्थन देना इस बात की ओर इशारा करता है कि क्षेत्रीय पार्टियां, कांग्रेस के नेतृत्व पर भरोसा करने के बजाय, अपनी-अपनी भूमिका को मजबूत करने में जुट गई हैं।
क्या यह घटनाक्रम इंडिया गठबंधन की एकता को कमजोर करेगा, या यह केवल एक राजनीतिक रणनीति है? इसका जवाब आने वाले महीनों में लोकसभा चुनाव की तस्वीर साफ होने के साथ मिलेगा।
