रांची ,4 फरवरी: मुख्य सचिव श्रीमती अलका तिवारी ने राज्य में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति को न्यूनतम करने के लिए त्वरित राहत और बचाव कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ससमय की गई कार्रवाई से आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
मुख्य सचिव मंगलवार को आपदा प्रबंधन से जुड़ी राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रही थीं। बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिनमें राज्य के जलाशयों पर बचाव उपकरणों से लैस गोताखोरों की तैनाती शामिल है। इसके लिए पंजीकृत पेशेवर मछुआरों को प्रशिक्षित किया जाएगा और चयनित गोताखोरों को 10,000 रुपये मानदेय दिया जाएगा।
इसके अलावा, राज्य में विशिष्ट स्थानीय आपदाओं जैसे अतिवृष्टि, सर्पदंश, खनन जनित आपदा, वज्रपात, रेडिएशन, पानी में डूबने, भगदड़, गैस रिसाव और सड़क दुर्घटनाओं से प्रभावित आश्रितों को अनुग्रह अनुदान देने के लिए 10 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई। इससे प्रभावितों को त्वरित राहत मिल सकेगी।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि राज्य में आंधी-तूफान और लू से संभावित जान-माल की क्षति को देखते हुए इसे विशिष्ट स्थानीय आपदा घोषित किया जाएगा। वहीं, संकीर्ण गलियों में आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए 39 अग्निशामालयों में मिनी वाटर टेंडर विथ मिस्ट टेक्नोलॉजी युक्त अग्निशमन वाहनों की खरीद को मंजूरी दी गई।
इसके अतिरिक्त, आपदा प्रबंधन विभाग झारखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के सहयोग से वज्रपात और डूबने से होने वाली घटनाओं के हॉटस्पॉट चिह्नित करेगा और इन क्षेत्रों में सुरक्षा रणनीति तैयार करेगा।
बैठक में गृह विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती वंदना दादेल, होमगार्ड एवं अग्निशमन के डीजी श्री अनिल पालटा, वित्त सचिव श्री प्रशांत कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव श्री राजेश शर्मा समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
